कर्ण हिंदुस्तानी
देश के कई राज्यों में कोरोना का कहर एक बार फिर शुरू हो गया है और हमारे प्रधानमंत्री जी विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव जीतने की कवायद में लगे हैं। जनता को कोरोना से लड़ने का मंत्र देने के बजाए खुद लाखों – हज़ारों की भीड़ एकत्र कर दैहिक दूरी की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं। क्योंकि मोदी जी का एक ही लक्ष्य है सारे राज्यों में उनकी ही सरकार हो। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। हर बात में नेहरू जी और पिछली सरकारों को दोष देने वाले मोदी जी से आज आम जनता सवाल चाहती है कि नेहरू जी ने देश में कारखाने शुरू किये और आपने देश को आत्मनिर्भर होने का (कथित )मंत्र देना शुरू किया। आपने देश में अति आधुनिक हथियार बनाने शुरू किये। हर जगह क्यू आर कोड से पैसों का लेनदेन शुरू किया। खुद को पिछली सरकारों से बेहतर साबित करने के चक्कर में आपने भी पिछली सरकारों की तरह आम जनता की तरफ ध्यान नहीं दिया। जिस देश में बोलचाल की भाषा में राम के साथ रोटी का जिक्र किया जाता हो, वहां आप सिर्फ राम का नाम लेकर नहीं चल सकते। आपको राम के साथ रोटी भी देनी होगी। आपको धारा 370 हटाने के साथ – साथ कश्मीरियों के मन में घर चुका अलगाववाद का कीड़ा भी निकालना होगा। तीन तलाक खत्म करने के साथ ही साथ आपको अल्पसंख्यकों को मुख्य धारा में लाकर शिक्षित भी करना होगा। विदेशों में आपके नाम डंका बज रहा है मगर पिछले एक साल से भारत की आम जनता को अपने भूखे पेट की चिंता है। उसे बंगाल और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों से कुछ लेना देना नहीं है। प्रधानमंत्री जी जनता को सिर्फ दाल चावल देकर खुश नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र में जनता की हर तकलीफ पर ध्यान देना पड़ता है। खुद को हर क्षेत्र में माहिर बताने की नाकाम कोशिश करने वाले प्रधानमंत्री जी यदि आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों के बिजली बिल माफ़ किये जा सकते हैं और बैंकों का क़र्ज़ माफ़ किया जा सकता है तो फिर इस कोरोना की विपत्ति में आम जनता का लाइट बिल क्यों माफ़ नहीं किया सकता ? क्यों पहला लॉक डाउन खुलने के पश्चात् बैंक वालों ने कर्जधारकों को परेशान करना शुरू कर दिया ? क्यों लोगों को हज़ारों के लाइट बिल थमा कर भरने का तुगलकी आदेश बिजली कंपनियों ने दिया। क्यों लाइट बिल ना भरने के बाद लाइट का कनेक्शन काट दिया गया? जीवनावश्यक वस्तुओं को महत्व देने की बात कर अपनी पीठ थपथपाने वाले प्रधानमंत्री जी क्या लाइट जीवनावश्यक में नहीं आती ? आपने सारे देश को लाइट देकर अपना नाम तो चमका लिया मगर भारी भरकम बिल के बारे में कुछ नहीं सोचा। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। मगर राज्यों को जीतने की लालसा में आपका ध्यान महाराष्ट्र में बढ़ती त्रासदी की तरफ है ही नहीं। क्योंकि यहां आपकी सत्ता चालाकी से हथिया ली गयी। मोदी जी आपका राजनीतिक दल महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने की होड़ में जनता की तकलीफ भी देखना नहीं चाहता। जनता मानती हैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री निकम्मे साबित हुए हैं मगर देश का प्रधान सेवक क्या कर रहा है ? जनता भुखमरी की कगार पर पहुँचने लगी है। देश में पुनः लॉक डाउन की दहशत फ़ैल गयी है और आम जनता अब सरकार से भी दो दो हाथ करने में पीछे नहीं हट रही है। ऐसे में गृह युद्ध की स्थिति ना बन जाए , इस बात की चिंता बुद्धिजीवियों को सताने लगी है। 2014 के पहले जब मोदी प्रधानमंत्री पद के दावेदार घोषित किये गए थे तब तो बड़ा प्रचार हो रहा था। पाकिस्तान को सबक सीखा देंगे , चीन की हवा खराब कर देंगे। चीन से आयात बंद कर दिया गया, कई प्रतिबंध लगा दिए गए लेकिन जिन भारतियों का व्यवसाय ही चीनी वस्तुओं पर टिका हुआ था। उन भारतियों को चीन जैसा सस्ता सामान बनाने का कोई आइडिया नहीं खोजा गया, नतीजन कई व्यापारी तबाह हो गए। देश में नक्सली हमले में हमारे जवान मारे जाते हैं और हम चुप रह जाते हैं। गृहमंत्री वही रटा रटाया बयान देते हैं। हम कड़ी कार्र्रवाई करेंगे। कुल मिलाकर देश की स्थिति बद से बदतर होती है और प्रधानमंत्री जी देश जीतने में लगे हैं , मगर वह यह भूल जाते हैं कि यह वह देश है जहां आकर विश्व विजेता सिकंदर भी पराजित हो गया था। प्रधानमंत्री जी जनता ने आपसे कुछ ज्यादा नहीं माँगा है। मगर जीने के कुछ साधन तो मुहैय्या करवाईये। इतने व्यवसाइयों को क़र्ज़ माफी दी है आम जनता के सिर्फ लाइट बिल और बैंकों की कुछ किश्तें माफ़ कर दीजिये। वरना मुझ जैसा पत्रकार तो कहेगा ही कि मोदी जी सिकंदर बनने की कोशिश मत कीजिये।
(लेखक जानेमाने पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं)