अजय भट्टाचार्य
दिल्लीशाही में गजब की शांति है। देश का मुखिया केदारनाथ की परिक्रमा के बहाने चुनावी रणनीति के व्यस्त है और पार्टी स्वकल्पित देशद्रोहियों से निपटने में व्यस्त है इसलिये अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन द्वारा चीन को लेकर जारी रिपोर्ट सरकारी नक्कारखाने में तूती की तरह अनसुनी अनपढ़ी गति को प्राप्त हो रही है। जबकि सरकार को इस रिपोर्ट पर तुरंत स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये थी। पेंटागन की इस रिपोर्ट में चीन के सैन्य अभियान और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में बढ़ते प्रभाव से लेकर नए समय में शुरू की गई उसकी योजनाओं तक हर चीज के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें ताइवान संकट भारत-चीन सीमा तनाव के साथ-साथ पिछले साल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अलग-अलग अभ्यासों के तौर तरीकों के आंकड़े भी दिए गये हैं। रिपोर्ट के अनुसार चीन नहीं चाहता कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते बेहरत हो। इसलिए वह भारत को रोकना चाहता है। भारत के लिए चीन बड़ा खतरा बनता जा रहा है। चीन को लेकर पेंटागन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एलएसी पर तेजी से सैन्य साजो सामान जुटा रहा है। चीन ने तिब्बत के विवादित क्षेत्र में भारत के अरुणाचल प्रदेश के नजदीक करीब 100 घरों वाला एक गांव बना लिया है। सीमावर्ती इलाके में बना ये गांव सुविधाओँ से परिपूर्ण है और युद्ध की स्थिति में सेना को सहायता प्रदान कर सकता है। चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब बुनियादी सुविधाओं के विकास को लेकर अक्सर भारत पर आरोप लगाता रहता है। जबकि वास्तव में चीन यह कार्य खुद तेजी से कर रहा है। कई इलाकों में वह रेलवे लाइन भी बिछा चुका है जिस पर तेज गति से ट्रेन चल सकती हैं।
पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रही राजनयिक और सैन्य बातचीत के बावजूद चीन ने भारत के साथ एलएसी पर अपने दावों को साबित करने के लिए सामरिक कार्रवाई करना जारी रखा है। मई 2020 की शुरुआत में, चीनी सेना ने सीमा पार से भारतीय नियंत्रित क्षेत्र में घुसपैठ शुरू की और एलएसी पर गतिरोध वाले कई स्थानों पर सैनिकों को तैनात किया। जून 2021 तक, चीन और भारत ने एलएसी पर बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रखी थी। इसके अलावा, तिब्बत और शिनजियांग सैन्य जिलों से एक पर्याप्त रिजर्व बल पश्चिमी चीन के अंदरुनी हिस्सों में तैनात किया गया था ताकि त्वरित प्रतिक्रिया के लिये तैयार रहा जा सके। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी। 1975 के बाद एलएसी पर जान जाने का यह पहला मामला था। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों को गहरा करने से रोकने की पूरी कोशिश की है। रक्षा विभाग ने अमेरिकी कांग्रेस को बताया, पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) नहीं चाहता कि सीमा विवाद के चलते भारत और अमेरिका और निकट आएं। पीआरसी अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को भारत के साथ पीआरसी के संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी है। पेंटागन नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन तनाव और सैन्य गतिरोध पर अमेरिकी कांग्रेस को रिपोर्ट सौंपता है। पेंटागन ने कहा कि चीन अपने पड़ोसियों खासकर भारत के साथ आक्रामक व्यवहार कर रहा है। अपने पड़ोसियों को डराने के लिए चीन ने तिब्बत और शिनजियांग में मौजूद सुरक्षाबलों को पश्चिमी चीन में भेज दिया। ताकी उनकी सीमा पर तैनाती हो सके।
पिछले साल जब गलवान घाटी में चीनी सेना घुसी थी तब भी सरकार यही कहती रही कि न कोई घुसा है और न कोई मरा है। अगर ऐसा था तो हमारे 20 जवान कैसे और क्यों मरे? यहाँ एक तरफ सत्तारूढ़ दल की आईटी सेल चीन को सिर्फ वाट्सएप यूनिवर्सिटी के जरिये हलाकान करती दीखती है दूसरी तरफ चीन के साथ व्यापारिक संबंध पहले से ज्यादा मजबूत करती नजर आती है। भारत का चीन को निर्यात साल 2020-21 में 1,57,201.56 करोड़ रुपये का था। दूसरी तरफ भारत का चीन से आयात साल 2020-21 में 4,82,495. 79 करोड़ रुपये का था।
कोरोना काल में जब भारत का समग्र आयात गिर रहा था, उस वक्त भी चीन से हो रहे आयात का आंकड़ा बढ़ रहा था। सरकार के मुताबिक अप्रैल-नवंबर 2020 के बीच भारत के शीर्ष 5 आयात साझीदारों में चीन, अमेरिका, सनुक्त अरब अमीरात, हांगकांग और सऊदी अरब रहे हैं। 2020 में भारत का चीन से व्यापार 87.6 अरब डॉलर का था। इसमें करीब 66.7 अरब डॉलर चीन से भारत को आयात था। इसके पहले साल 2019 में भारत ने चीन से सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक मशीनरी और उपकरण (20.17 अरब डॉलर) का आयात किया, इसके अलावा ऑर्गनिक केमिकल 8.39 अरब डॉलर, उर्वरक 1.67 अरब डॉलर भारत के शीर्ष आयात थे। मतलब व्यापार में भी चीन हम पर भारी रहा है। चीन अपना माल तो भारतीय बाजार में उतार रहा है मगर अपना बाजार हमारे लिए सीमित ही रखा है। आयात-निर्यात में यह अंतर साफ दीखता है। ध्यान रहे किसी समय तात्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फ़र्नांडीज ने चीन को भारत के लिए बड़ा खतरा बताया था, पेंटागन की रिपोर्ट इसी खतरे की पूर्व सूचना है। सरकार को इसे अनदेखा नहीं करना चाहिये।
(लेखक देश के जाने माने पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
