अजय भट्टाचार्य
केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आन्दोलन कर रहे किसानों के समर्थन में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वे ऐसा कोई मंच नहीं छोड़ते जहाँ से किसानों के समर्थन में अपनी आवाज लगातार उठाने को मिले। इस बार उन्होंने वैश्विक जाट संगठन का मंच चुना और किसानों के मुद्दे पर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग सरकार और सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है। मगर सरकार की मजबूरी यह है कि मलिक को हटाकर वह और परेशान नहीं होना चाहती।
जयपुर में एक कार्यक्रम में सत्यपाल मलिक ने कहा कि मोदी सरकार छोटी छोटी बातों पर तो अफ़सोस जता देती है लेकिन किसान आंदोलन में अब तक 600 किसान मारे जा चुके हैं, लेकिन उनके लिए अभी तक मोदी सरकार ने कोई अफ़सोस नहीं जताया, कोई प्रस्ताव पास नहीं किया। सत्यपाल मलिक ने ये भी कहा कि जिन्होंने मुझे नियुक्त किया है अगर वो इस्तीफ़ा मांगेंगे तो मैं अपना पद छोड़ने को भी तैयार हूं। देश में इतना बड़ा आंदोलन आज तक नहीं चला, जिसमें 600 लोग मर गए। जानवर भी मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आ जाता है, लेकिन 600 किसानों के मरने पर प्रस्ताव लोकसभा में पास तक नहीं हुआ। महाराष्ट्र में आग लगी, 5-7 लोग मरे लेकिन दिल्ली से प्रस्ताव आ गया उनके पक्ष में। हमारे 600 लोग मरे उस पर कोई नहीं बोला। ध्यान रहे जानवर का जिक्र कर मालिक ने सीधे मोदी को ही ललकारा है। एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि कार के नीचे कोई कुत्ते का पिल्ला भी आ जाता है तो उन्हें अफ़सोस होता है। तब मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे। बहरहाल उसी बात को ध्यान में रखते हुए जानवर के बहाने मोदी को घेरा है। बकौल मलिक राज्यपाल को हटाया नहीं जा सकता फिर भी मेरे शुभचिंतक इस तलाश में रहते हैं कि ये बोलें और हटें। कुछ फेसबुक पर लिख देते हैं गर्वनर साहब जब इतना महसूस कर रहे हो तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते? मैंने कहा आपके पिताजी ने बनाया था मुझे? मुझे बनाया था दिल्ली में 2-3 लोग हैं, उन्होंने. मैं उनकी इच्छा के विरुद्ध बोल रहा हूं, ये तो जानकर बोल ही रहा हूं कि उनको दिक्कत होगी। वो जिस दिन कह देंगे मुझे दिक्कत है, उस दिन एक मिनट भी नहीं लगाऊंगा और पद छोड़ दूंगा। जयपुर में ग्लोबल जाट समिट को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि उन्हें किसानों के मुद्दे पर दिल्ली के नेताओं को निशाना बनाने पर राज्यपाल का अपना पद खोने का डर नहीं है। मैं कुछ भी छोड़ सकता हूं लेकिन मैं यह नहीं देख सकता कि किसानों के साथ जुल्म हो रहा हो, वो हराये जा रहे हों.. उन्हें भगाया जा रहा हो और हम अपना पद लिये बैठे रहें तो इससे बड़ी लानत की कोई बात नहीं हो सकती। पहले दिन जब मैं किसानों के पक्ष में बोला था तो यह तय करके बोला था कि मैं यह पद छोड़ दूंगा और किसानों के धरने पर आकर बैठ जाऊंगा।
इससे पहले मलिक ने जम्मू-कश्मीर के गवर्नर रहते उन्हें 300 करोड़ रिश्वत की पेशकश की बात कर सनसनी फैला दी थी। मलिक 30 सितम्बर 2017 से 21 अगस्त तक बिहार राज्य के राज्यपाल रहे। इससे पहले अलीगढ़ सीट से 1989 से 1991 तक जनता दल की तरफ से सांसद रहे। 1996 में समाजवादी पार्टी की तरफ से फिर चुनाव लड़े लेकिन हार गए। मेरठ के एक कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 21 अगस्त 2018 को जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किये गए।
मलिक जम्मू कश्मीर के एकमात्र ऐसे राज्यपाल रहे जिनके कार्यकाल में अनुच्छेद ३५ a हटा। वे इसके हटने से पहले भी वहां के राज्यपाल थे तथा इस अनुच्छेद के हटने के बहुत समय बाद तक वे राज्यपाल रहे। मलिक कहते हैं कि गोवा सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से मुझे हटा दिया गया। मैं लोहियावादी हूं, मैंने चरण सिंह के साथ बिताया है। मैं भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं कर सकता। राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि उप्र चुनाव तक केंद्र सरकार मलिक को राज्यपाल पद से हटाने की गलती नहीं करेगी क्योंकि कृषि कानूनों के मुद्दे पर समूचा जाटलैंड पहले ही बिदका हुआ है। मलिक को पदच्युत कर भाजपा जाटों को और नाराज नहीं करना चाहती।
उन्होंने कहा, ‘गोवा सरकार की घर-घर राशन बांटने की योजना अव्यवहारिक थी. ये एक कंपनी के कहने पर किया गया था, जिसने सरकार को पैसे दिए थे. मुझसे कांग्रेस समेत कई लोगों ने जांच करने को कहा था. मैंने मामले की जांच की और प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी दी।
(लेखक देश के जाने माने पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)