अजय भट्टाचार्य
पलामू (झारखंड) की रिजवाना खातून की पहल ने मुस्लिम समाज की लड़कियों के लिए रास्ता खोल दिया है कि अपना जीवनसाथी चुनने का उन्हें पूरा अधिकार है। सामान्यत: घर के बड़े-बूढ़े मिलकर घर की लडकियों का रिश्ता अपनी पसंद से तय कर देते हैं। रिजवाना ने इस लीक को तोडा है इसलिये उसका उत्साहवर्धन करना चाहिये।
पलामू जिले के विश्रामपुर थाना क्षेत्र की भंडार पंचायत के टोना गांव के लियाकत अंसारी की पुत्री रिजवाना खातून की शादी रंका प्रखंड के कटरा पंचायत के लरकोरिया निवासी स्वर्गीय गुलाम रसूल अंसारी के पुत्र सदाम अंसारी के साथ तय हुई थी। शादी शनिवार यानी 11 जून को होनी थी, लेकिन शादी के ठीक दो दिन पहले लड़की रिजवाना खुद लड़का देखने उसके घर लरकोरिया पहुंच गयी। रिजवाना को अपना होनेवाला शौहर सदाम पसंद नहीं आया और उसने उसके परिजनों को अपना फैसला सुनाते हुए शादी करने से इनकार कर दिया। रिजवाना को निकाह से पहले घर पहुंचा देखकर लड़का सदाम के घरवाले हक्का-बक्का रह गये। शादी से इनकार के बाद यह मामला रंका थाना पहुंच गया। दोनों के परिजनों को थाने बुलाया गया। थाने में रिजवाना को शादी के लिये मनाने का प्रयास किया गया, परंतु वह अपने फैसले पर अडिग रही और पुलिस प्रशासन के सामने भी शादी करने से इनकार कर दिया। इस दौरान उसने सवाल करते हुए कहा कि क्या सिर्फ लड़के को ही लड़की देखकर शादी करने का अधिकार है? आखिर लड़की अपनी पसंद क्यों नहीं देखेगी ? लड़कियां अपने अधिकार से कब तक वंचित रहेंगी।
थाना प्रभारी रामेश्वर उपाध्याय ने दोनों के परिजनों से पूछताछ के बाद रिजवाना की बात को प्राथमिकता दी और कहा कि जब खुद लड़की शादी करने से इनकार कर रही है, तो जबरन शादी कराना उचित नहीं है। इसके बाद इस शादी को रोक दिया गया। उसके पिता लियाकत अंसारी दहेज के रूप में 1.21 लाख रुपए को दे चुके हैं। दहेज में और लेन-देन की बात चल रही थी. इधर, लड़का पक्ष एवं लड़की पक्ष दोनों के घर शादी रस्म पूरा करने के लिए तैयारी जोरों पर थी। लड़के वालों का कहना है कि शादी की पूरी तैयारी थी। पैसा भी अधिक खर्च हो गया है। इसके बाद इस प्रकार शादी टूटने से दोनों पक्ष को आर्थिक नुकसान हुआ है। बहरहाल पुलिस इस मसले का भी हल ढूँढ़ रही है।