अजय भट्टाचार्य
अदालती कार्यवाही और फैसले में बहुत अंतर होता है। महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष का एक अखाड़ा देश का उच्चतम न्यायालय भी बन गया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के बागी विधायकों को राहत देते हुए कहा कि उनकी अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाए। सुनावई के दौरान उद्धव ठाकरे गुट के वकील कामत ने कोर्ट से कहा कि हमें इस बात का अंदेशा है कि बागी विधायक 11 जुलाई से पहले फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकते हैं। लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए। कामत ने कहा कि ऐसी स्थिति में कोर्ट में याचिका दाखिल करने का विकल्प खुला रखने दिया जाए। इसपर कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गलत होता है तो कोई भी नागरिक कोर्ट आ सकता है। राहत को फैसला बनाकर गोदी मीडिया ने परोसना शुरू कर दिया। कारण ? यह कि इससे दूसरे धड़े का मनोबल कम हो सके। अमृतकाल में गोदी मीडिया अपनी सबसे बड़ी नंगई का प्रदर्शन कर रहा है। बहरहाल
उधर गुवाहाटी में मणिपुर शिवसेना के प्रमुख को गुवाहाटी के होटल में रह रहे बागी विधायकों से मिलने से रोका गया। गुवाहाटी के ब्लू रैडिसन होटल के आसपास का इलाका अब एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र के गढ़ जैसा दिखने लगा है। इस होटल में पिछले एक हफ्ते से एकनाथ शिंदे अपने बागी साथी विधायकों के साथ रह रहे हैं। खबर यह भी है कि शिंदे कैंप ने अपनी होटल बुकिंग 5 जुलाई तक बढ़ा दी है। मतलब सत्ता का यह नाटक अभी और लंबा खींचेगा। होटल के अंदर हो रहे घटनाक्रम के जानकार एक राजनीतिक सूत्र के मुताबिक बागी विधायक गुवाहाटी से तभी जाएंगे जब उनकी कहीं उपस्थिति की जरूरत होगी। पूरी संभावना है कि यह एक दिन पहले या महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट के दिन हो सकता है। शिंदे खेमे ने 5 सितारा होटल में 196 कमरों में से 70 बुक किए हैं। होटल में असम सरकार द्वारा बागी विधायकों को वीवीआईपी सत्कार दिया जा रहा है लेकिन इन ‘विशेषाधिकारों’ पर फिलहाल कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है।
इधर महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच कल राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। देवेंद्र फडणवीस की दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की खबर। वकील महेश जेठमालानी भी फडणवीस के साथ ही दिल्ली में हैं। जेठमलानी राज्य सभा सांसद भी हैं। उधर एकनाथ शिंदे के भी गुवाहाटी से दिल्ली जाकर फडणवीस के साथ मुलाकात की खबर है। अंदरखाने शिंदे और भाजपा कैंप में सरकार बनाने की शर्तों पर विचार-विमर्श हो रहा है। जबकि
महाराष्ट्र में सरकार बनाने का फॉर्मूला लगभग तैयार है। शिंदे सहित सभी दलों का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व होगा। छह विधायकों पर एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री दिया जाएगा। शिवसेना के एकनाथ शिंदे कैंप को 6 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। भाजपा के 18 कैबिनेट मंत्री होंगे और तक़रीबन 10 राज्यमंत्री बनाए जाएँगे। वहीं कहां जा रहा है कि एकनाथ शिंदे खुद के लिए उपमुख्यमंत्री का पद भी मांग सकते हैं। एकनाथ शिंदे गुट के बागी मंत्री मौजूदा मंत्रालय ही चाहते हैं। मौजूदा बागी गुट में शिंदे के साथ महाराष्ट्र सरकार के साथ 8 मंत्री हैं। ऐसे में शिंदे गुट वही मंत्रालय चाहता है जो कि इन विधायकों के पास पहले से थे। परसों ही इन मंत्रियों से विभाग छीनकर दूसरे विधायकों को सौंपे गये हैं। इसके साथ ही पिछले एक महीने में लिये गए इनके अहम फैसलों को उद्धव सरकार ने रोक दिया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब भाजपा और बागी खेमे में सब सही चल रहा है तब अभी तक सरकार बनाने में देरी क्यों हो रही है? उसका सीधा सा जवाब यही है कि सदन में कहीं शिवसैनिकों की निष्ठा जाग गई तो किया-धरा सब गुड गोबर हो जायेगा। दूसरा सवाल यह है कि जब मंत्रालयों का बंटवारा पूर्ववत ही रहेगा तो जो विधायक पदोन्नत होकर मंत्री बनने के लिए गुवाहाटी में धूनी रमाये हैं, वे बिदक भी सकते हैं। तीसरा आघाडी के शिल्पकार शरद पवार के आत्मविश्वास का स्तर देखकर भाजपा और बागी खेमे में अजीब सी उलझन है और यह उलझन खत्म होने तक महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार की प्राणवायु को खतरा नहीं है।