न्यूज स्टैंड18
जौनपुर (उप्र)। यहां की मड़ियाहूं सीट पूरे चुनाव में चर्चे में रही। सपा ने पूर्व विधायक श्रद्धा यादव का टिकट काटकर बसपा से सपा का दामन थामने वाली सुषमा पटेल को मैदान में उतारा था। सुषमा पटेल के सामने अपनादल (सोनेलाल पटेल) से आर के पटेल उम्मीदवार थे। आर के पटेल भदोही में एक निजी अस्पताल चलाते हैं।
सुषमा पटेल की उम्मीदवारी के साथ ही समाजवादी पार्टी (samajwadi party) का भीतरघात शुरू हो गया था। हालांकि आम मतदाता उम्मीदवार बदले जाने से खुश था, लेकिन श्रद्धा यादव समर्थक बहुत नाराज थे। यह नाराजगी चुनाव के अंतिम दिनों तक दिखी। सपा के पारंपरिक वोट माने जाने वाले यादव बाहुल्य क्षेत्रों में कोई खासा प्रचार नहीं हुआ। रामपुर ब्लॉक के हरिहरपुर गांव में तमाम यादव घरों पर भाजपा के झंडे लग गए, लेकिन इन नाराज परिवारों को मनाने की कोई कोशिश नही हुई। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय सपा कार्यकर्ता मतदान वाले दिन एक भी बार गांव में घूमकर लोगों को मतदान करने के लिए नहीं बोले। जिससे बड़ी संख्या में वोटर घर से निकले ही नहीं। लगभग यही हाल अन्य क्षेत्रों में भी रहा।
श्रद्धा यादव गुट ने पार्टी को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। श्रद्धा यादव को गांव में गुटबाजी को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है। अपने चार लोगों को खुश करने के लिए इन्होंने पूरे गांव को नाराज करने का भी काम किया है। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल में हरिहरपुर गांव को लोहिया गांव में शामिल किया गया था, लेकिन श्रद्धा ने गांव के कुछ लोगों के कहने पर गांव के कई रास्तों का निर्माण नहीं होने दिया। ऐसी ही कुछ नीतियों का खामियाजा सुषमा पटेल को भुगतना पड़ा। मड़ियाहूं में सपा की हार के पीछे एक बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी रही।
