चेतन पंडित
भारतीय ज्योतिषी शास्त्र मनुष्य के जीवन की तमाम परेशानियों को न केवल चिह्नित करता है वरन उनके निवारण पर भी अपना अभिमत देता है। हिंदू जीवन शैली में जीवन यापन करने वालों के लिए जन्मकुंडली उनके अतीत, वर्तमान और भविष्य का एक ऐसा दस्तावेज है जो हमारे प्राचीन संतों, मुनियों, ऋषियों की गहन मेहनत से अर्जित ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से बनता है। जीव में मनुष्य तन में जन्म लेने पर उस समय के ग्रह, नक्षत्र, योग, तिथि और करण की स्थिति से जातक की जन्म कुंडली बनती है। कुंडली में विभिन्न तरह के योग जातक की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, दांपत्य आदि के बारे में गणना के माध्यम से यह तय होता है कि उसका जीवन कैसा बीतेगा।
हिंदू धर्म में हर तिथि का एक अलग ही महत्व होता है। हर तिथि को अलग तरीके से मनाया जाता है और उस दिन बिल्कुल अलग तरीके से पूजन किया जाता है।. ठीक इसी तरह हिंदू पंचांग की पंद्रहवीं तिथि को अमावस्या मनाई जाती है। इन दिनों पौष का महीना चल रहा है. ऐसे में पौष अमावस्या के दिन दान करने का बहुत महत्व होता है। इसके अलावा इस दिन नदी स्नान करना अच्छा माना जाता है। पौष अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए जरूरी उपाय किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृ दोष की वजह से परिवार की सुख और शांति पर असर पड़ता है। वंश वृद्धि में परेशानी आने लगती हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या का दिन अच्छा माना जाता है। इस वर्ष पौष अमावस्या आज यानि 2 जनवरी के दिन है।
कहा जाता है कि अमावस्या के दिन काल सर्प दोष की पूजा और उपाय किए जाते हैं। पौष अमावस्या के दिन चांदी से बने नाग-नागिन की पूजा कर उन्हें नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य मिलता है। आप भी पौष अमावस्या के दिन गरीब और जरूरतमंदों को खाना खिला सकते हैं। ऐसा करने से आप के पितर प्रसन्न होंगे। शास्त्रों के मुताबिक अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। पितृ दोष से मुक्ति के लिए और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें। एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।
पौष अमावस्या के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को खाना जरूर खिलाएं। इसके बाद उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी दे सकते हैं। 2 जनवरी को रात 12 बजकर 2 मिनट पर पौष अमावस्या का समापन होगा। अमावस्या तिथि सूर्योदय पर 2 जनवरी से शुरू हो रही है, इसलिए अमावस्या की उदया तिथि 2 जनवरी 2022 को ही प्राप्त हो रही है। अमावस्या तिथि का मुहूर्त 2 जनवरी को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से जारी रहेगा। इस अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 14 मिनट से शाम के 4 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इस दिन आप जो भी काम करेंगे वो सिद्ध और सफल होगा।
पौष अमावस्या पूजा विधि
ब्रह्ममुहूर्त में स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
स्नान के बाद तांबे लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल, चावल डाल लें। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में पूजा करें। देवी-देवताओं को स्नान कराएं।
वस्त्र और पुष्प अर्पित करें। भोग स्वरूप खीर चढ़ाएं।