अजय भट्टाचार्य
जिस वक्त आप यह लेख पढ़ रहे होंगे तब तक संभवतः पटियाला में कर्फ्यू खत्म हो चुका होगा। करीब एक पखवाड़ा पहले प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के लोगों ने हरियाणा के सभी जिला पुलिस मुख्यालयों पर खालिस्तान स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की थी। अब यह विचित्र है कि हरियाणा में तो कुछ नही हुआ अलबत्ता पंजाब का पटियाला शहर सुलग उठा। कल पटियाला में शिवसेना द्वारा निकाले गए खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च के दौरान कई सिख संगठन और हिंदू कार्यकर्ता आमने-सामने हो गए, जिसके बाद पुलिस को पूरे मामले को सुलझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। दोनों और से तलवारें भी लहराई गई और पथराव भी किया गया। घटना के तुरंत बाद शिवसेना ने खालिस्तान विरोधी मोर्चा निकालने वाले पंजाब शिवसेना के उपाध्यक्ष हरीश सिंगला को “पार्टी विरोधी” गतिविधियों के चलते पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या इस मामले में ख़ुफ़िया जानकारी की अनदेखी हुई है? बिलकुल हुई है क्योंकि सिंगला ने प्रतिबंधित संगठन जस्टिस फॉर सिख के नेता गुरुपतवंत पन्नुन के हरियाणा पुलिस के जिला मुख्यालयों पर खालिस्तान दिवस मनाने की घोषणा के ठीक बाद ऐलान किया था कि पटियाला में खालिस्तान मुर्दाबाद मोर्चा निकाला जायेगा। इसलिए कल यानी शुक्रवार को पटियाला के दुःख निवारण साहिब गुरुद्वारा पर जब पहले निहंगों का जत्था शिवसेना के मोर्चे के जवाब में इकट्ठा हुआ तब यह अफवाह उडी कि मोर्चे पर हमला हुआ है। इधर निहंगों का जत्था कालीमाता मन्दिर की तरफ बाधा जिधर खालिस्तान विरोधी मोर्चा के लोग डटे थे। दोनों तरफ से नारेबाजी के बीच कब पत्थर उछले और तलवारें चमकीं, पता ही नही चला। अलबत्ता पटियाला पुलिस के एक स्टेशन ऑफिसर निहंगों के हमले में घायक जरुर हुआ। शिवसेना (बालठाकरे) के पंजाब कार्यकारी प्रधान हरीश सिंगला की देखरेख में आर्य समाज चौक से खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च शुरू हुआ था। शिव सैनिक खालिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए निकले थे। सिंगला ने कहा कि शिवसेना कभी भी पंजाब में खालिस्तान नहीं बनने देगी और ना ही किसी को खालिस्तान का नाम लेने देगी।इसी दौरान कुछ सिख संगठन भी तलवारें लहराते हुए सड़क पर आ गए और दोनों ओर से स्थिति तनावपूर्ण बन गई और पथराव भी हुआ। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां भी दागीं।
शिवसेना से निष्कासित नेता हरीश सिंगला का कहना है कि विभिन्न अवसरों पर जब ‘वे’ खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी कर सकते है तो हम खालिस्तान विरोधी नारे क्यों नहीं लगा सकते। सिख आतंकवाद के समय पंजाब में हजारों हिंदू मारे गये थे। इधर शिवसेना के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष योगराज शर्मा का दावा है कि 10 दिन पहले ही हमने पटियाला पुलिस को साफ़ कर दिया था कि सिंगला द्वारा किये गये मोर्चे संबंधी आवाह्न उनका निजी मामला है और इससे पार्टी का कोई संबंध नहीं है। सवाल यह है कि जब यह मोर्चा शिवसेना का नही था तब सिगला के साथ इकट्ठी हुई भीड़ में कितने शिवसैनिक थे और कितने शिवसैनकों के वेश में घुसे उपद्रवी! यह इसलिए भी जरूरी है कि दंगा-फसाद की धुरी जिस संगठन के आस-पास घूमती है वह इसी तरह भीड़ की आड़ में अपना काम करता है। इसलिए निराधार समाचारों/ सोशल मीडिया फॉरवर्ड्स के झांसे में न आएं और अपने-अपने परिजनों/बच्चो को इस भीड़ का अंग बनने से रोकने पर विचार करें।
वैसे पंजाब में शिवसेना केसरी, शिवसेना भगवा, शिवसेना टकसाली, शिवसेना पंजाब, राष्ट्रवादी शिवसेना, शिवसेना अमृतसर, शिवसेना (इंकलाब), शिवसेना हिन्द और शिवसेना हिन्दुस्तानी नाम से जो शिवसेना (बाल ठाकरे) के अनुषांगिक संगठन हैं, शिवसेना के पंजाब और केन्द्रीय नेतृत्व को उनके कर्ता-धर्ताओं और सदस्यों की पृष्ठभूमि की अपने स्तर पर आंतरिक जाँच करनी चाहिये। अन्यथा पटियाला जैसी घटनाएँ होंगी और इन्हें मात्र “पार्टी विरोधी” गतिविधि कहकर निकलना आसान नहीं होगा।
