अजय भट्टाचार्य
तेलंगाना के रस्ते दक्षिण में कमल खिलाने की मंशा पाल रही भाजपा के लिए यह अंग्रेजी दैनिक न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी यह खबर निराशाजनक हो सकती है। खबर के अनुसार अगर तेलंगाना में आज चुनाव होते हैं तो थोड़े से नुकसान के बावजूद केसीआर के तेलंगाना राष्ट्र समिति एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकती है। एएआरएए पोल स्ट्रैटेजिज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा राज्य के सभी 119 विधानसभा क्षेत्रों में एक नमूना सर्वेक्षण करने पर पाया कि अगर आज चुनाव होते हैं, तो टीआरएस सत्ता के केक के साथ निकल जाएगी, जबकि 2018 के चुनावों में अक्षम रही भाजपा अपने वोट प्रतिशत में काफी सुधार करेगी। पिछले चुनाव में उपविजेता रही कांग्रेस को अपने आधार में गिरावट देखने को मिलेगी। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि केवल एक पार्टी सरकार बनाएगी और तेलंगाना में गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।
सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि सत्तारूढ़ पार्टी का वोट शेयर 2018 के विधानसभा चुनावों में 46.87 प्रतिशत से गिरकर 38.88 प्रतिशत हो सकता है, लेकिन पार्टी अभी भी वोट शेयर के उच्चतम प्रतिशत का दावा करने में शीर्ष पर रहेगी।
सर्वेक्षण नतीजों के अनुसार तेरास के 87, कांग्रेस के 53 और भाजपा के पास 29 दमदार उम्मीदवार हैं। तेरास के 17 विधायकों के खिलाफ लोगों में जबरदस्त नाराजगी है इनमें से 13 के जीतने की कोई संभावना नहीं है। विपक्षी दलों में मजबूत उम्मीदवार के न होने से बाकी चार विधायकों की किस्मत फिर चमक सकती है। आसरा पेंशनभोगियों और तेलंगाना में आंध्र के कुछ हिस्सों में बसने वालों के एक वर्ग के लिए तेरास पसंद की पार्टी होगी। यह सर्वेक्षण नवंबर 2021 से तीन चरणों में 119 विधानसभा क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण नतीजों के मुताबिक 2018 के विधानसभा चुनावों में सिर्फ 6.93 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी वाली भाजपा को वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में 30.48 प्रतिशत वोट हासिल कर काले घोड़े के रूप में उभर सकती है। कांग्रेस को जमीन खोते हुए देखा जा रहा है, क्योंकि सर्वेक्षण में पुरानी पार्टी के वोट शेयर में 2018 के चुनावों में 28.78 प्रतिशत की तुलना में 5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23.71 प्रतिशत वोट मिलने की भविष्यवाणी की गई है। हर निर्वाचन क्षेत्र में तीन से पांच फीसदी वोट लेकर बसपा एक मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभर सकती है उसे ज्यादातर दलित समुदायों से 5 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है। वाईएसआर तेलंगाना पार्टी नलगोंडा और खम्मम जिलों में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। जबकि आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर में तेरास और भाजपा में अच्छी खासीइ चुनावी जंग देखने को मिल सकती है। खम्मम, नलगोंडा और वारंगल (ग्रामीण) के ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस और तेरास के बीच एक लड़ाई होगी। पूर्व मेडक, महबूबनगर, हैदराबाद और रंगारेड्डी जिलों में तेरास, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय लड़ाई की भविष्यवाणी की गई है। ए रेवंत रेड्डी के तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत होने के बावजूद, पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा तेरास में दलबदल कारण, लोग तेरास = से लड़ने की पार्टी की क्षमता पर संदेह कर रहे हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ होने के कारण भाजपा के लिए 18 से 35 वर्ष की आयु के अधिकांश युवा जाति या धर्म से अलग भाजपा की ओर आकर्षित हुए हैं। हालांकि, तेरास शासन के तहत तेलंगाना के 50 प्रतिशत मतदाता अभी भी संतुष्ट हैं। भविष्य में नए राजनीतिक गठबंधन द्वारा परिदृश्य तय किया जाएगा। 80 फीसदी उत्तर भारतीयों का झुकाव भाजपा की ओर है। प्रमुख चुनावी मुद्दा होगा केसीआर के परिवार में सत्ता का केंद्रीकरण, भ्रष्टाचार के आरोप होंगे जबकि एमआईएम के खिलाफ मलकपेट और नामपल्ली विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा कड़ी टक्कर देगी। खास बात यह है कि 2014 और 2018 की तरह लोग किसी एक व्यक्ति या व्यक्तित्व पर वोट नहीं करने जा रहे हैं। महिलाएं और पेंशनभोगी अभी भी तेरास के प्रति वफादार हैं।