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तिहाड़ जेल से मनीष सिसोदिया की चिट्ठी: “पीएम का कम पढ़ा-लिखा होना देश के लिए खतरा”

Manish sisodiya letter: दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल से देश के नाम एक चिट्ठी लिखी है। मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब नीति केस में आरोपी हैं। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा कि मोदी गर्व से कहते हैं कि गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई है। लोग कंपनी में मैनेजर रखने के लिए पढ़ा-लिखा आदमी ढूंढते हैं। क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा लिखा नहीं होना चाहिए?

मनीष सिसोदिया का पूरा पत्र:-
आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। दुनियाभर में विज्ञान और टेक्नोलॉजी में हर रोज नई तरक्की हो रही है। सारी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बात कर रही है।
ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्रीजी को यह कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में पाइप डालकर उसकी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है तो मेरा दिल बैठ जाता है। क्या नाली की गंदी गैस से खाना बनाया जा सकता है? नहीं!
जब प्रधानमंत्रीजी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज को रडार नहीं पकड़ सकता तो वो पूरी दुनिया में हंसी के पात्र बनते हैं। स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक उड़ाते हैं। उनके इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतरनाक हैं।
इसके कई नुकसान हैं- जैसे पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है।
जब प्रधानमंत्रीजी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज को रडार नहीं पकड़ सकता तो वो पूरी दुनिया में हंसी के पात्र बनते हैं। स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक उड़ाते हैं। उनके इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतरनाक हैं।
इसके कई नुकसान हैं- जैसे पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है।
दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष जब प्रधानमंत्रीजी से गले मिलते हैं तो एक-एक झप्पी की भारी कीमत लेकर चले जाते हैं। बदले में न जाने कितने कागजों पर साइन करवा लेते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्रीजी तो समझ नहीं पाते, क्योंकि वो कम पढ़े-लिखे हैं।
आज देश का युवा एस्पिरेशनल है। वह कुछ करना चाहता है। वो अवसर की तलाश में है। वो दुनिया जीतना चाहता है। साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वो कमाल करना चाहता है। क्या एक कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है?
हाल के वर्षों में देश में 60 हजार सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए हैं। क्यों? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही है तो सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़नी चाहिए थी? अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाता है तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर देते, जैसा कि अब दिल्ली में होने लगा है।
लेकिन देशभर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है। इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं। अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे तो क्या भारत तरक्की कर सकता है? कभी नहीं!

मैंने प्रधानमंत्रीजी का एक वीडियो देखा था, जिसमें वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि वो पढ़े-लिखे नहीं हैं। केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई। क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है?
जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम कभी नहीं किया जाएगा। हाल के वर्षों में 60 हजार सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना इसका जीता-जागता प्रमाण है। ऐसे में मेरा भारत तरक्की कैसे करेगा?
आप अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ढूंढते हैं। क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए।

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