Mumbai Politics

क्या मनपा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिला पाएंगी वर्षा गायकवाड?

विजय यादव
मुंबई।
मुंबई महानगर पालिका चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपना मुंबई अध्यक्ष बदल दिया है। कामगार नेता भाई जगताप को हटा कर पार्टी ने वर्षा गायकवाड को मुंबई कांग्रेस की कमान सौंप दी है। वर्षा गायकवाड दलित वर्ग से आती हैं, इस तरह कांग्रेस ने दलित वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए यह नया दांव खेला है। इसके साथ ही कांग्रेस ने गुजरात और पुडुचेरी का भी अध्यक्ष बदल दिया है। अब क्रमशः इन दोनों राज्यों में शक्ति सिंह गोहिल और वी वैथिलिंगम नए अध्यक्ष होंगे।
कांग्रेस को उम्मीद है कि, वर्षा गायकवाड दलित समाज से होने के साथ महिला भी हैं, जिससे चुनाव में महिलाओं और दलित वर्ग को अपनी ओर खींचा जा सकता है। महाराष्ट्र के अध्यक्ष नाना पटोले पिछड़े वर्ग से हैं। इस तरह मुंबई में कांग्रेस दलित और पिछड़ा कॉम्बिनेशन बना कर चल रही है। मुंबई के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप मराठा समाज से आते हैं। इसके साथ ही मुंबई मजदूर संगठनों पर इनकी मजबूत पकड़ थी। आखिर पार्टी को संगठन के एक मजबूत नेता को हटा कर दूसरे के हाथ में कमान देने की जरूरत क्यों पड़ी? यह सवाल पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही जगहों पर पूछा जा रहा है। इसके जवाब में कांग्रेस का अपना जो भी जवाब और तर्क हो लेकिन हकीकत यह है कि, भाई जगताप के हटने से मुंबई में कांग्रेस को संगठन को फिर से मजबूत करने और अन्य नेताओं को विश्वास में लेने की नई चुनौती भी साथ में है।
पार्टी सूत्रों के अनुशार भाई जगताप ने कांग्रेस के बेसिक कमेटी के साथ-साथ यूथ, सेवादल, स्लम सेल, महिला जैसे उप संगठनों को भी मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कांग्रेस का जो सेवादल पिछले कुछ वर्षों में बेजान पड़ा था वह आज सक्रिय और शक्तिशाली प्रभाव में आ गया था। पार्टी सूत्रों के अनुशार वर्षा गायकवाड बेसक दलित, पिछड़ा और महिला वोटों को लुभा सकती हैं, लेकिन संगठन के ढांचे को मजबूत बनाने में कितनी सफल होंगी इसका सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। संभव है कि, चुनाव के मौके पर मुंबई कमेटी में अपने मन मुताबिक फेर बदल भी करें। ऐसे में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
वर्षा गायकवाड के करीबियों में उनके अध्यक्ष बनाए जाने पर भले ही खुशी की लहर हो लेकिन मुंबई मनपा में भाई जगताप से टिकट की आस लगाए बैठा संभावित उम्मीदवार काफी निराश हुआ है। अब देखना होगा कि, कांग्रेस का यह फेर बदल चुनाव में कितना फायदा और नुकसान पहुंचाता है।

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