Madhya Pradesh

अपरा एकादशी पर सागर में श्री देव बाँकेराघवजी सरकार का भव्य नौकाविहार महोत्सव

रामबाग, बुलाखीचंद, बीजासेन मंदिर सहित कई देवालयों में भी बरसी भक्ति की अविरल धारा

राज कुमार सोनी
सागर।
अदम्य शौर्य-पराक्रम के पर्याय मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल का सागर…साहित्य-शिरोमणि महाकवि पद्माकर का सागर…लाखा बंजारा के त्याग-बलिदान की शीतल-निर्मल लहरों से सराबोर ऐतिहासिक सरोवर का सागर…अपने जीवन भर की चल-अचल पूँजी न्योछावर कर ज्ञान की सरिता प्रवाहित करने के लिए विश्वविद्यालय स्थापित करने वाले सर हरिसिंह गौर का सागर…बॉलीवुड के ग्रेट शो-मैन कहलाए जाने वाले राज कपूर की माइलस्टोन मूवी ‘ बॉबी ‘ के लोकप्रिय गीत ‘ झूठ बोले कौआ काटे, काले कौए से डरियो… ‘ के रचियता विट्ठलभाई पटेल सहित आशुतोष राणा, गोविंद नामदेव, मुकेश तिवारी आदि सुप्रसिद्ध अभिनेताओं की नगरी सागर। कितना गिनाएं, इस सागर के सामाजिक-ऐतिहासिक-शैक्षणिक-धार्मिक समेत अन्य ढेर सारी उल्लेखनीय गतिविधियों का ब्यौरा, जो किसी महासागर की तरह अथाह और अनंत है।

धर्म-श्रद्धा-आस्था की अगर बात करें, तो वह सागर के चप्पे-चप्पे पर चस्पां है। कदम-कदम पर आपको यहां देवालय मिलते हैं और उतने ही सरल-ह्रदय व अटूट आस्थावान हैं यहां के लोग, जिनमें महिला-पुरुषों से लेकर आबाल वृद्धों तक का समावेश है। यहां के प्रमुख मंदिरों में एक है - श्री देव बांके राघवजी सरकार मंदिर। करीब 250 वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन यह मंदिर यहां की कई पीढ़ियों का श्रद्धा का मुख्य केंद्र रहा है और आज भी बना हुआ है। यही वजह है कि यहां जो भी पारंपरिक धार्मिक उत्सव हुआ करते हैं, श्रद्धालुओं का अपार जनसागर उमड़ पड़ता है।  

ताजा प्रसंग ज्येष्ठ मास की पहली एकादशी यानी अपरा एकादशी का है। सागर शहर के बड़ा बाजार क्षेत्र में स्टेट बैंक के पास स्थित श्री देव बाँके राघवजी मंदिर में इस दिन शाम साढ़े 7 से रात 10 बजे तक युगल सरकार के नौकाविहार का भव्य महोत्सव आयोजित किया गया, जिसके अंतर्गत कई पावन नदियों के जल से भरे सरोवर में युगल सरकार के नौकाविहार के नयनाभिराम दृश्य के दर्शन करने श्रद्धालु समुदाय अमूमन टूट ही पड़ा। मंदिर के पुजारी श्री निताई दास महाराज यहां होने वाले सभी महोत्सवों के सर्वेसर्वा हैं। वे श्री क्षेत्र वृंदावन धाम से संस्कृत में शास्त्री हैं, अध्यात्म के कुशल ज्ञाता हैं और मधुर स्वर के स्वामी भी। चैतन्य परंपरा के अनुसार संचालित इस मंदिर में वे जब संकीर्तन करते हैं, तो धर्म-अध्यात्म से किनारा करने वाले मौजूदा दौर का पढ़ा-लिखा युवा वर्ग भी खुद-ब-खुद उन तक खिंचा चला आता है और आस्था के महासागर में परमानंद के गोते लगाने लगता है और सदैव के लिए ठाकुर जी के चरण-शरण में आ जाता है। श्री निताई दास जी महाराज बड़ी विनम्रता से इसे सभी पर ठाकुर जी युगल सरकार की कृपा बताते हैं।

 वैसे, मंदिर के बड़े महाराज श्री रणछोड़ दास व्यास जी इस मंदिर की ऐतिहासिकता और नामकरण का अनूठा वाकया बताते हैं कि यहां  ठाकुर जी की सेवा में फिलहाल उनकी 6 वीं पीढ़ी सक्रिय है। उनके पूर्वज गुजरात के मूल निवासी थे और ठाकुर जी की सेवा में सागर आकर यूँ बसे कि फिर यहीं की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए। श्री रणछोड़ दास व्यास जी महाराज बताते हैं कि मध्यप्रदेश ही नहीं, अपितु समूचे देश में संभवतः यह अकेला मंदिर है, जहां प्राण-प्रतिष्ठित तो हैं श्री राधे-कृष्ण जी युगल सरकार, पर नामकरण है राघव जी पर। राघव जी यानी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम। असल में सनातनी वैष्णव परंपरा में अपने इष्ट के सर्वप्रथम नाम-स्मरण का रिवाज है और हम से पूर्व एक सिद्ध महात्मा जी यहां सेवा-प्रबंधन में थे, जो रामानंदी संप्रदाय से थे। सो, वे सबसे पहले अपने इष्ट भगवान श्रीराम का स्मरण किया करते थे...तो फिर यहीं से शुरुआत हुई मंदिर के श्री देव बांके राघवजी सरकार नामकरण की। लिहाजा, चैतन्य महाप्रभु की परंपरा के अनुसार संचालित इस मंदिर में रामनवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हनुमान जयंती, झूलन महोत्सव, नौकाविहार, होली महोत्सव, एकादशी महोत्सव, फूल बंगला समेत कई उत्सव पूरे विधि-विधान के साथ मनाए जाते हैं।  

  अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जानी जाने वाली अपरा एकादशी के शुभ अवसर पर मंदिर में आयोजित महोत्सव का शुभारंभ शाम साढ़े 7 बजे संध्या आरती के उपरांत भजन-कीर्तन के कार्यक्रम से हुआ। वृंदावन धाम से आई बेहद खूबसूरत पोशाक धारण किए युगल सरकार ने लगभग साढ़े 3 घंटे विविध सतरंगी सुवासित पुष्पों से सुसज्ज नौका में जलविहार का आनंद लिया और विशाल श्रद्धालु समुदाय ने उनके दर्शन का। इस अवसर पर भगवान को खस के सुस्वादु शरबत का भोग लगाया गया। कार्यक्रम में श्री निताई दास महाराज ने पहले यहां भारी तादाद में मौजूद श्रद्धालुओं को अपरा एकादशी की कथा सुनाई, उसकी वैज्ञानिक-आध्यात्मिक महत्ता समेत पूजन-अर्चन व व्रत-पारण की विधि बताई। फिर युगल सरकार के दरबार में भक्तिरस की चाशनी में तर सुरों की ऐसी तान छेड़ी कि सब अपनी सुध-बुध छोड़ सूर-कबीर-तुलसी-रसखान-मीरा और किशोरी जी की धारा में डूब कान्हा की बंसी के माधुर्य पर झूमने लगे। श्रद्धालु समुदाय ने जलविहार करते युगल सरकार पर बारंबार बहुरंगी पुष्पदल वृष्टि की और इस दौरान उनके ' राधा-वल्लभ की जय ' , ' युगल सरकार की जय ' आदि जयकारों से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हो उठा। 

   श्री देव बांके राघव जी सरकार मंदिर के अलावा सागर के बड़ा बाजार क्षेत्र स्थित श्री अटल बिहारी जी मंदिर, बुलाखीचंद मंदिर, रामबाग मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, नागेश्वर मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, पहलवान बब्बा मंदिर, नीलकंठेश्वर मंदिर, धनेश्वर मंदिर, रामपुरा के मैया बीजासेन मंदिर आदि कई देवस्थानों में भी अपरा एकादशी के पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना, श्रृंगार-आरती, भजन-संकीर्तन, रात्रि जागरण और महाप्रसादी वितरण का भव्य आयोजन किया गया। श्रीमती ममता पाठक, अमन पाठक और अवनि पाठक के संयुक्त संचालन में चल रहे मैया बीजासेन मंदिर में क्षेत्र के पूर्व पार्षद बलराम घोषी के अग्रज एवं वरिष्ठ समाजसेवी देवीसिंह ठाकुर और नामी शरीर सौष्ठव खिलाड़ी रहे श्याम पहलवान के नेतृत्व में हमेशा की भांति एकादशी के रात्रि जागरण का कार्यक्रम हुआ, जिसमें गोवर्धन दाऊ, पप्पू सोनी, तुलसी भैया, गोपाल ठाकुर, गिरीश भैया, ठाकुर भैया, संदीप सेन, अज्जू भैया (भगत जी), मनोज सोनी आदि समेत अनेक नियमित भक्त व अन्य श्रद्धालु सम्मिलित हुए...सांगीतिक भजन-कीर्तन किया, ब्रह्म मुहूर्त में हरेक एकादशी की तरह भंडारा हुआ, जिसमें व्रतियों सहित अन्य सभी ने पारण-प्रसाद पाकर पुण्यलाभ अर्जित किया।

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