Madhya Pradesh

राधा-वल्लभ, व्दारकाधीश और गेड़ाजी मंदिर में भगवान ने किया नौकाविहार

नियमित आसन से उठ फूल बंगला में शोभायमान हुए श्री देव बाँके राघवजी

राज कुमार सोनी
सागर। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी भीमसेनी अथवा निर्जला एकादशी पर मध्यप्रदेश के सागर शहर स्थित देवालयों में धार्मिक उत्सवों की धूम रही। शाम ढलते ही मंदिरों में भगवान के दर्शनार्थ श्रद्धालुओं का हुजूम इस कदर टूट पड़ा कि आसपास की सभी सड़कों-इलाकों में भारी भीड़ की वजह से जाम-सा लग गया। शहर के बड़ा बाजार में स्टेट बैंक के पास मौजूद 200 वर्षों से ज्यादा प्राचीन श्री देव बाँके राघवजी मंदिर में इस अवसर पर युगल सरकार जहां अपने नियमित आसन से उठ शानदार फूल बंगले में शोभायमान हुए, वहीं की बुलाखीचंद मंदिर में राधा-वल्लभ, गेड़ाजी मंदिर और व्दारकाधीश मंदिर में भगवान ने कई तरह के रंगबिरंगे-सुवासित पुष्पों से सजी व भव्य रोशनी से जगमगाती नौका में सवार हो जलविहार किया। इसके अलावा लक्ष्मीनारायण मंदिर, धनेश्वर मंदिर, पहलवान बब्बा मंदिर, काकागंज के राम दरबार मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर, रामपुरा के बीजासेन माता मंदिर समेत अन्य देवालयों में भी पवित्र नदियों के जल से भगवान का अभिषेक कराया गया, नई पोशाक धारण कराई, खीर-शरबत-आमरस-चिरौंजी की बर्फी आदि नैवेद्यों का भोग लगा तथा ठाकुरजी की आराधना में कई अनुष्ठान हुए, भजन-संकीर्तन-जयकारों के बीच श्रद्धालुओं ने चैतन्य महाप्रभु, हित हरिवंश महाप्रभु, मीराबाई व गोपियों की तरह भक्तिरस में डूब जमकर नृत्य किया।                                    श्री देव बाँके राघवजी मंदिर में ठाकुरजी युगल सरकार का फूल बंगला  महोत्सव शाम साढ़े 7 बजे आरती के बाद आरंभ हुआ और देर रात तक मंदिर में भगवान के नयनाभिराम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा। मंदिर के पुजारी निताईदास महाराज और बड़े महाराज रणछोड़दास व्यासजी ने बताया कि युगल सरकार का सुबह पंचामृत अभिषेक कराया गया, फिर श्रीधाम वृंदावन से आई नई आकर्षक पोशाक धारण कराकर उन्हें विविध नैवैद्य सहित खीर का भोग लगा। युगल सरकार के फूल बंगले की साज-सज्जा के लिए मोगरा, बेला, गुलाब समेत कई विविधरंगी पुष्प विशेष तौर पर वृंदावन से मंगाए गए थे।                                                                  भगवान श्रीकृष्ण की बंसी की ध्वनि माने जाने वाले परमपूज्य संत हित हरिवंश महाप्रभु के राधावल्लभ संप्रदाय व्दारा पारंपरिक तरीके से संचालित बुलाखीचंद मंदिर में युगल सरकार ने कई पवित्र नदियों के जल से भरे सरोवर में विविधरंगी-सुवासित पुष्पों से सजी नौका में विहार किया। मंदिर के पुजारी गुड्डू महाराज ने बताया कि शाम साढ़े 7 बजे संध्या आरती के उपरांत शुरु हुए इस महोत्सव में ठाकुरजी की आराधना में भजन-कीर्तन का संगीतमय कार्यक्रम भी हुआ। यहां भी देर रात तक श्रद्धालुओं की अपार भीड़ लगी रही। तेज गर्मी की तपन व उमस से बचाव के लिए खुद की तरह ठाकुरजी को भी शीतलता प्रदान करने हेतु जलविहार से पूर्व पवित्र नदियों के जल से अभिषेक किया गया, आम रस व अन्य नैवेद्य का भोग लगाया गया।                         द्वारकाधीस मंदिर में भगवान ने पवित्र नदियों के जल से भरे सरोवर में 99 साल पुरानी नौका में सवार होकर श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। मंदिर उत्सव समिति के शिवम सोनी ने बताया कि 35 किलो वजनी सागौन की लकड़ी से निर्मित इसी नौका में हरेक वर्ष ठाकुरजी के जलविहार की परंपरा है। सुबह की आरती के पश्चात भगवान का दूध, दही, शहद, शक्कर, गंगाजल से अभिषेक हुआ, नई पोशाक और रत्नजड़ित आभूषणों से युगल सरकार का श्रृंगार हुआ और फिर आम रस व अन्य नैवेद्य का भोग लगा। यहां भी भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। भजन-संकीर्तन के जरिए ठाकुरजी को रिझाया गया। गेड़ाजी मंदिर में युगल सरकार के भक्तों को उनके भव्य फूल बंगले में विराजने और नौकाविहार के अनूठे दर्शन का पुण्यलाभ प्राप्त हुआ। भगवान को चिरौंजी की बर्फी का भोग लगाया गया। सुबह पवित्र जलाभिषेक के बाद उन्हें वृंदावन से आई नई रत्नजड़ित पोशाक और सोने-चांदी के आभूषण धारण कराए गए। इस अवसर पर यहां राधे राधे संकीर्तन मंडल ने भजन- कीर्तन की संगीतमय प्रस्तुति भी दी। हजारों पुष्पों से सुसज्ज और रंगीन रोशनी से जगमग पूरा मंदिर इस दौरान किसी महल की भांति प्रतीत हो रहा था। रामपुरा के बीजासेन माता मंदिर में वर्ष भर की सभी एकादशी की भांति भीमसेनी एकादशी पर भी समाजसेवी देवीसिंह ठाकुर और नामी शरीर सौष्ठव खिलाड़ी रहे श्याम पहलवान के नेतृत्व में  रात्रि जागरण का कार्यक्रम हुआ, जिसमें गोवर्धन दाऊ, पं. सुनील पांडेय महाराज, शीतल दुबे, पप्पू सोनी, शीतल दाऊ, तुलसी भैया,गिरीश भैया, ठाकुर भैया, संदीप सेन, अज्जू भैया (भगत जी), मनोज सोनी, सुधीर सोनी मुखिया, साहूजी, चंदेल भैया आदि समेत अनेक नियमित भक्त व अन्य श्रद्धालु सम्मिलित हुए, सांगीतिक भजन-कीर्तन किया।

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