Madhya Pradesh

गोपियों की प्रेममूर्ति हैं भगवान जगन्नाथ: श्री भक्तिविलास त्रिदंडी महाराज

भोपाल की शांतिनगर कॉलोनी से नृत्य-संकीर्तन संग निकली भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा

राज कुमार सोनी
भोपाल।
‘भगवान जगन्नाथ, अग्रज बलभद्र और भगिनी सुभद्रा का रूप गोपियों की प्रेममूर्ति का है। उनकी यह लीला पुरुषोत्तम-धाम में हुई। नीलमाधव है प्रभु का यह रूप ‘, माधुर्य में पगी यह अमृतवाणी है श्रीधाम वृंदावन के गौड़ीय मठ से पधारे पूज्यपाद श्री भक्तिविलास त्रिदंडी महाराज जी की। वे भोपाल के शांतिनगर कॉलोनी स्थित श्री गौर राधा मदन गोपाल जी मंदिर की 39 वीं प्राण-प्रतिष्ठा वर्षगांठ पर महेश्वरी परिवार द्वारा आयोजित भगवान श्री जगन्नाथ के रथयात्रा महोत्सव में मंगलवार को कृष्ण-हरिकथा सुना रहे थे। मंदिर के संस्थापक नित्यलीला प्रविष्ट भगवद्पाद परमाराध्य आचार्य प्रवर श्री श्री 1008 श्री वासुदेव शरण महाराज ‘ विरही ‘ जी और उनके विशेष कृपापात्र नित्यलीला प्रविष्ट श्री चक्रधर प्रसाद ‘ भक्ति शास्त्री ‘ जी महाराज के कृपा-आशीर्वाद से हो रहे इस महोत्सव का आरंभ सोमवार से हुआ, जिसके तहत दोनों दिन प्रवचन करते हुए उन्होंने रथयात्रा की कथा सुनाई व संकीर्तन भी किया, समारोहस्थल पर बड़ी संख्या में मौजूद समूचा श्रद्धालु समुदाय जिसकी लय-ताल पर खुद को थिरकने से नहीं रोक सका। कथा में महाराजश्री ने श्रद्धालुओं को बड़ी बारीकी से प्रेम-भक्ति के सूत्र समझाते हुए बताया कि निष्कपट भाव से शरणागति के बाद ही ईश्वर प्रार्थना सुनते हैं। उन्होंने कहा कि राधा रानी भक्ति और प्रेमरस की वह अविरल धारा हैं, जिसके बिना कृष्ण की कल्पना ही नहीं की जा सकती। समारोहस्थल पर कथा का रसपान करने तथा ठाकुरजी के दर्शनार्थ बड़ी संख्या में श्रद्धालु समुदाय उमड़ा। मंगलवार की दोपहर विविध सुवासित-रंगबिरंगे पुष्पों से सजे भव्य रथ में भगवान जगन्नाथ समेत बलभद्र, सुभद्रा की शानदार शोभायात्रा निकली। ठाकुरजी के नगर भ्रमण का बेहद विहंगम दृश्य था यह। भारी तादाद में भजन-कीर्तन करते नृत्यरत, ‘ श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंदा राधे गोविंदा हरे राधे गोविंदा ‘ के गगनभेदी जयकारे लगाते श्रद्धालुवृंदों के संग मंदिर से शुरू हुई यह रथयात्रा इब्राहिमगंज, हमीदिया रोड, घोड़ा निक्कास, मंगलवारा, इतवारा, चिंतामन चौक, सराफा बाजार, लखेरापुरा, भवानी चौक, सिंधी मार्केट, वेलदारपुरा, भोपाल टॉकीज और बैरसिया रोड, सिंधी कॉलोनी से होते हुए वापस शांतिनगर स्थित मंदिर पहुंच कर संपन्न हुई।
मंदिर के पुजारी निताईदासजी महाराज ने बताया कि महोत्सव के प्रथम दिवस ठाकुरजी ने विविध तरह के सुवासित पुष्पों से निर्मित आकर्षक फूल बंगले में विराज कर श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। इस फूल बंगले को वृंदावन से आए कुशल कलाकारों की मंडली ने सजाया था। ये पुष्प भी खास तौर पर वृंदावन से ही मंगाए गए थे। साथ ही इस मौके पर भगवान का पवित्र नदियों के जल से अभिषेक हुआ तथा उन्हें वृंदावन से आई नई पोशाक भी धारण कराई गई। विधि-विधान से पूर्ण पूजा-अर्चना के साथ ठाकुरजी को विविध पकवान-मिष्ठान-फलों के नैवेद्य का भोग लगाया गया। फिर महाभंडारा की प्रसादी भी हुई। मंगलवार को प्रातः प्रभातफेरी निकली, जिसमें ठाकुरजी के जयकारे लगाते, संकीर्तन कर नृत्यरत, धर्म-ध्वजा थामे भक्तों की अपार भीड़ का उत्साह देखते ही बनता था। महोत्सव को सफल बनाने में सागर से पधारे बड़ा बाजार स्थित श्री देव बांके राघवजी मंदिर के बड़े महाराज श्री रणछोड़दास व्यास जी, आनंद व्यास, देवकीनंदन दास, जगन्नाथ दास, चैतन्य व्यास, ओमकारप्रसाद खरे, विकास चौरसिया सहित श्रीधाम वृंदावन से पधारे अन्य भक्तगणों का विशेष सहयोग रहा, जबकि आयोजक मंडल में हरिवल्लभ महेश्वरी, दीपक महेश्वरी, राधिका महेश्वरी, दीपिका महेश्वरी, विष्णुप्रिया महेश्वरी, भक्ति महेश्वरी व दीपा महेश्वरी का समावेश रहा।
उल्लेखनीय है कि ब्रह्मामाधव-गौड़ीय संप्रदायाचार्य अखिल भारतीय श्री गौड़ीय मठों के अधिष्ठाता जगद्गुरु अनंतश्री विभूषित श्रीमदभक्ति सिद्धांत गोस्वामी प्रभुपाद के अनन्यतम शिष्य श्री भक्तिदायित माधव गोस्वामी के परमशिष्य श्री वासुदेवशरण ‘ विरही ‘ जी महाराज का सर्वप्रथम भोपाल आगमन वर्ष 1971 में तब हुआ था, जब प्रदेश के इस राजधानी नगर के सबसे प्रतिष्ठित-मृदुभाषी-धर्मालु अधिवक्ता श्री द्वारिकाप्रसाद महेश्वरी के अनुज श्री जगदीशप्रसाद महेश्वरी के नए मकान के उद्घाटन का अवसर था और इस दौरान यहां सभी भक्तों को महाराजश्री की अमृतवाणी में श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण का सुयोग प्राप्त हुआ था। इसके पश्चात फिर वकील साहब के शांतिनगर कॉलोनी स्थित मकान में गृहप्रवेश के दौरान वर्ष 1976 में 27 अक्टूबर को महाराजश्री के मुखारविंद से यहां श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ। इसके बाद धर्म-साधना और प्रभुकृपा का ऐसा प्रवाह बना कि वर्ष 1980 से 1985 तक यहां हरेक साल प्रेमावतार श्री चैतन्य महाप्रभु पंचशती का आयोजन चलता रहा। वर्ष 1984 में यहां महाराजश्री के पावन सानिध्य में मंदिर में 14 जुलाई को भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा के दिन श्री गौर राधा मदन गोपाल जी के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। तभी से हर साल यहां ठाकुर जी की प्राण-प्रतिष्ठा वर्षगांठ पर निरंतर महोत्सव के आयोजन की परंपरा जारी है। निताईदास जी महाराज और रणछोड़दास व्यास जी महाराज बताते हैं कि यहां वर्ष 1971 से 1992 तक विरहीजी महाराज और फिर इसके बाद उनके कृपापात्र श्री चक्रधर प्रसाद ‘ भक्ति शास्त्री ‘ जी महाराज ने 2021 में अपने गौलोक-गमनकाल तक श्रद्धालु-वृंदों को लगातार श्रीमद् भागवत कथा का अमृतपान कराया। तत्पश्चात, अब इन श्रद्धेय गुरुजनों के कृपाशीर्वाद से उनके भक्तजनों ने भक्ति-ज्ञान-अनुष्ठान की इस अलख को निरंतर प्रज्ज्वलित रखा है।

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